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टायफ़ाएड फ़ीवर : पहचान, लक्षण, कारण, स्टेज, और यह कितने समय तक रहता है?

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टायफ़ाएड फ़ीवर : पहचान, लक्षण, कारण, स्टेज, और यह कितने समय तक रहता है?

टायफ़ाएड इंसान को आम तौर पर होने वाला आंतों (एंटेरिक) का संक्रमण है। आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर में हर साल करीब 11-21 मिलियन लोग टायफ़ाएड से पीड़ित होते हैं और 200,000 लोगों को इस कारण अपनी जान गंवानी पड़ती है। हर साल विश्व भर में करीब 5 मिलियन पैराफीवर के केस देखने को मिलते हैं। इनमें से ज्यादातर लोग साउथ एशिया के होते हैं।

टायफ़ाएड के लक्षणों में डायरिया, जी मिचलाना, उलटी आना और पेट में दर्द होना शामिल है, अगर इसका उपचार न किया जाए तो यह प्राणघातक हो सकता है। टायफ़ाएड की समस्या भारत में भी आम है। इसलिए इसके कारण, लक्षण और उपचार जानना बेहद जरूरी है ताकि आप खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकें।

होशियार रहें...मॉनसून में टायफ़ाएड की समस्या बढ़ सकती है। क्या आपको टायफ़ाएड के लक्षण महसूस हो रहे हैं? अपना टायफ़ाएड सीरम टेस्ट बुक करें।

टायफ़ाएड फ़ीवर के कारण

टायफ़ाएड का बुखार एक गंभीर समस्या है और कभी कभी यह बीमारी विकासशील देशों के लोगों के लिए जानलेवा हो सकती है, जहां सैनिटेशन खराब होता है और साफ़ पानी पीने के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

टायफ़ाएड सैलमोनेला टाएफ़ी नाम के बैक्टीरियम के कारण होता है जो फूड प्वॉएज़निंग करने वाले सैलमोनेला बैक्टीरिया से संबंधित होता है। यह व्यक्ति में तब आता है जब व्यक्ति इस बैक्टीरिया से युक्त खराब खाना खाता या पानी पी लेता है। शरीर में जाने के बाद यह बैक्टीरिया बहुत जल्दी मल्टीप्लाई हो जाते हैं और ब्लडस्ट्रीम में तेजी से फैल जाते हैं।

कुछ बातें टायफ़ाएड के खतरे को बढ़ा देती हैं। इनमें शामिल हैं:

·         ऐसी जगहों पर यात्रा करना जहां टायफ़ॉएड की समस्या ज्यादा है (एंडेमिक एरिया)

·         ऐसी जगह काम करना जहां बैक्टीरिया का सामना करना पड़ता हो जैसे हॉस्पिटल या लैबोरेट्री में काम करना।

·         टायफ़ॉएड से ग्रसित व्यक्ति के करीब जाना।

टायफ़ॉएड बुखार के लक्षण

टाएफ़ॉएड एक एंटरिक इंफ़ेक्शन है, यह आंतों को प्रभावित करता है और इसी कारण टायफ़ॉएड से पीड़ित व्यक्ति को पाचन की समस्या होती है। सामान्य तौर पर, टायफ़ॉएड बुखार के लक्षण बैक्टीरिया के संपर्क में आने के 10-14 दिनों में धीरे धीरे नजर आने लगते हैं। टायफ़ॉएड की अवधि करीब 3-4 सप्ताह की होती है। टायफ़ॉएड बुखार से जुड़े कुछ लक्षण नीचे दिए गए हैं जो आपको इसे पहचानने में मदद करेंगे :

·         असामान्य बुखार जो 104.9˚F (40.5 ˚C) तक चला जाता है।

·         सिरदर्द

·         पेट में दर्द

·         थकान और कमजोरी महसूस होना

·         मांसपेशियों में दर्द

·         भूख में कमी/एनोरेक्सिया

·         जी मिचलाना और उलटी

·         कब्ज या डायरिया

इलाज के बिना टायफ़ॉएड बुखार एक महीने या उससे ज्यादा तक बना रह सकता है और यह गंभीर और जानलेवा भी हो सकता है।

कई अलग अलग संक्रमण के कारण भी बुखार आ सकता है। अनुमान न लगाएं, खुद की जांच करवाएं। फ़ीवर पैनल पैकेज बुक करें और एक बार में पांच बीमारियों की जांच करवाएं।

टायफ़ॉएड बुखार की क्या स्टेज होती है?

अगर आपको टायफ़ॉएड है तो आप यह जरूर जानना चाहेंगे कि आपको कब तक बेहतर महसूस कर सकेंगे। इसका कोई एक जवाब नहीं है क्योंकि टायफ़ॉएड बुखार की कुछ स्टेज होती हैं।

एंट्रिक फ़ीवर या टायफ़ॉएड की 4 स्टेज होती हैं और हर स्टेज करीब एक सप्ताह तक बनी रहती है।

पहली स्टेज

इस स्टेज में, टायफ़ॉएड के मरीजों को कुछ शुरुआती लक्षण महसूस होते हैं जैसे सूखी खांसी, आलस और सिरदर्द। इसमें बुखार आ भी सकता है और नहीं भी। अगर बुखार आता भी है तो शरीर का तापमान सामान्य से बहुत ज्यादा नहीं बढ़ता।

दूसरी स्टेज

टायफ़ॉएड की इस स्टेज में, बुखार तेज हो जाता है और पेट फूलने लगता है। इस स्टेज में वजन भी घट सकता है। हैलोसिनेशन या फ़ीवर ड्रीम इस दौरान सामान्य बात है। इस दौरान व्यक्ति कभी थकान से भरा तो कभी उत्तेजित महसूस करता है।

तीसरी स्टेज

इस स्टेज में चीजें गंभीर होने लगती हैं। आंतों में गंभीर चोट पहुंचने से एब्डॉमिनल हैमरेज भी हो सकता है। एंसीफ़ेलाइटिस या दिमाग में इंफ़्लेमेशन की शिकायत भी हो सकती है। व्यक्ति डीहाएड्रेटेड हो जाता है जिस कारण डेलीरियम की तीव्रता बढ़ सकती है। ऐसे में व्यक्ति को उठकर बैठने में, अकेले खड़े होने या चलने मेें समस्या आने लगती है।

चौथी स्टेज

टायफ़ॉएड की इस स्टेज में बहुत तेज बुखार आता है। इसमें अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी आने लगती हैं जिनमें गंभीर संक्रमण, किडनी फ़ेल होना, निमोनिया, पैनक्रिआस में इंफ्लेमेशन या मेनेनजाइटिस शामिल हैं।

कुछ लोगों में, टाएफ़ॉएड वाला बैक्टीरिया शरीर में लंबे समय तक बना रहता है। सेंटर ऑफ़ डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक, 1% से 4% मरीज उपचार किए जाने के बाद भी टायफ़ाएड से पीड़ित होने के 12 महीनें या उससे ज्यादा समय तक सालमोनेला टाइफ़ी बैक्टीरिया शरीर से निकालते हैं। ऐसे लोगों को टायफ़ॉएड बैक्टीरिया से निजात दिलाने के लिए लंबे समय तक एंटीबाएटिक के उपचार की जरूरत पड़ती है।

टायफ़ॉएड का उपचार करा चुके कुछ लोगों को यह बीमारी फिर से हो जाती है, और लक्षण दोबारा दिखने लगते हैं। ऐसे मामलों में उपचार पूरा होने के एक सप्ताह बाद लक्षण फिर से आने लगते हैं। दूसरी बार में, सामान्य तौर पर टायफ़ॉएड के लक्षण हल्के होते हैं और असली बीमारी की तुलना में कम समय के लिए रहते हैं, लेकिन इसमें भी एंटीबाएटिक के उपचार की जरूरत पड़ती है।

टायफ़ॉएड का पता कैसे लगाया जाता है?

अगर आपको टायफ़ॉएड बुखार के कोई लक्षण नजर आते हैं, तो आपको चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए। वे आपका फ़िजिकल एग्जामिनेश करने के बाद स्थिति का पता लगाने के लिए कुछ जांच करवा सकते हैं। पेट में दर्द महसूस होना, स्प्लीन और लिवर का बढ़ जाना, लिंफ़ नोड का बढ़ना, और शरीर में चकत्ते आना (अपनी दिखावट के कारण इन्हे रोस स्पॉट भी कहा जाता है) फ़िजिकल जांच में पाए जाने वाले शुरुआती लक्षण हैं। आपके चिकित्सक आपको नीचे दिए कुछ लैबोरेट्री जांच करवाने की सलाह दे सकते हैं :

IgM और IgG एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट और सैलमोनेला टाइफ़ी बैक्टीरिया का पता लगाने के लिए ब्लड कल्चर टेस्ट

बैक्टीरिया की मौजूदगी पता लगाने के लिए स्टूल और यूरिन एनालिसिस

विडाल एंटीजेन टेस्ट बेहद आसान, सस्ता होता है और कुछ ही मिनट में किया जा सकता है। लेकिन नतीजे देखने के लिए 10 दिनों का लंबा समय लगता है। पारंपरिक विडाल टेस्ट लक्षण आने के दूसरे सप्ताह मेें बैक्टीरिया के लिए एंटीबॉडी का पता लगा पाता है।

टाइफ़ी डॉट टेस्ट ताज़ा संक्रमण के लिए मार्कर के तौर पर काम करता है और शुरुआत से उत्पन्न होने वाली एंटीबॉडी का पता लगाता है जो मुख्य रूप से   हैं।

बोन मैरो कल्चर की सलाह भी दी जाती है, लेकिन इसकी जरूरत बहुत कम पड़ती है। यह टेस्ट केवल वही मरीज करवाते हैं जिन्हें एंटीबाएटिक मिलने के बाद भी आराम नहीं आता। टायफ़ॉएड बुखार के लिए यह सबसे ज्यादा संवेदनशील टेस्ट होता है।

मॉनसून में पेट के रोगों की संभावना बढ़ जाती है

मॉनसून में टायफ़ॉएड आम बात होती है, क्योंकि इस दौरान भोजन और पानी के खराब होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है, इसलिए आपको हर एक लक्षण पर गौर करने और समय रहते टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है। साथ ही, अगर आपके परिवार में किसी को यह समस्या है, तो आपको सभी आवश्यक हाइजीन और सैनिटेशन प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए।

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